हम जन्म से पहले अप्रकट थे ,और मरने के बाद भी अप्रकट हो जायेगे , बलवान काल /समय की प्रेरणा से हम भिन्न -भिन्न अवस्थाओं में भ्रमण करते हैं किन्तु समय /काल के प्रबल पराक्रम को नहीं जानते तथा सुख की अ भिलासा से जिन -जिन वस्तुओं को बड़े कष्ट से प्राप्त करते हैं,काल उन्हें विनस्ट कर देता है , यह देख हमे बड़ा शोक होता है क्योकि हम अपने नाशवान शरीर तथा उसके सम्बंधियो के धन और घर आदि को मोह बस नित्य / सत्य मान लेते हैं /
जनार्दन त्रिपाठी मो नं 9005030949.