October 09, 2015

सूक्ष्म

ब्रह्मांड में हर वस्तु गतिशील है | जिस पृथ्वी
पर हम हैं उसकी अनेकों ज्ञात व अज्ञात गतियॉ
हैं | पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है . मंडराती
है तथा सूर्य के साथ कृतिका मंडल की परिक्रमा
करती है | अपनी धुरी पर पृथ्वी 24घंटे24सेके.
में घूम जाती है. सूर्य की परिक्रमा 366 दिन में
करती है और इसके मंडराने की गति प्रत्येक
26026वर्ष में पूर्ण होती है |
  पृथ्वी पर उत्पन्न सभी प्राणी तथा पदार्थों में
गति है | मिट्टी और पत्थर में भी अव्यक्त गति
होती है | पदार्थों को मैंने सृजन क्रिया में व्यस्त
देखा है | विद्युत पुंज में गतिशीलता और इक्छा
शक्ति की  विद्यमानता मैंने अनुभव किया है |
  मैनें देखा है कि . ब्रह्मॉड का हर परमाणु तीब्र
गति से अपना कार्य कर रहा है | सारा ब्रह्मॉड
गतिमय होने के कारण ही शक्तिमय है |

  अपने शरीर में भी हृदय की गति बराबर चलते
रहना जीवन कहलाती है और हृदय की गति
रूकना ही मृत्यु | शरीर एक रासायनिक कारखा
ना है उसके सभी अंग गतिशील रहते है | शरीर
को गतिशील रखने से वह स्वस्थ एवं शक्तिसंपन्न
रहता है |

सूक्ष्म शक्तियों के  विकास का
आधार भी यही है हमने अनुभव किया है |
तप. यौगिक क्रियाएं. चिंतन आदि के द्वारा
सूक्ष्म शरीर के शक्ति केन्द्रो को गतिशील
किया जाता है | और सूक्षमशक्ति .स्थूलशक्ति
से ज्याता प्रभावशाली हो जाती है | जैसे पानी
से ज्यादा ताकतवर उसका वाष्प हो जाता है |

तप

कष्ट सहना . परिश्रम एवं प्रयत्न करना तप है |
जिसतरह आजकल समाज में धनवान बनने
की होड़ है . उसी तरह प्राचीनकाल मे तपस्वी
बनने की होड़ थी | हर व्यक्ति तप की पूजी
एकत्र करने में लगा रहता था | सम्मान का माप
दण्ड तप ही था | तप कई प्रकार के थे-

  कुस्ती . ब्यायाम . आसन और दौड़कर शरीर
स्वस्थ रखना . गहन अध्ययन से विद्वान बनना
लिखने व बोलने का अभ्यासकर लेखक व
वक्ता बनना तप है | अनुकूल विचारवालों का
संगठन बनाकर उसका नेता बनना तप है |

जीवन में जैसा बनने की इक्छा हो . समय
गंवाये विना वैसे ही तप का चुनाव कर लेना
चाहिए | अन्यथा प्रकृतिप्रदत्त  शक्तियॉ
सुस्त पड़ी रहते हुए निष्कृय हो जाती हैं |

जहॉ तप है वहीं शक्ति. सुख शान्ति . आनन्द
धन. कीर्ति. और सबकुछ है |  जो इस विवेक
पूर्ण निर्णय की उपेक्षा करता है . वह आज
नहीं तो कल  दीनहीन. दुखी और विपत्तिग्रस्त
बनकर रहेगा |

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