March 11, 2015

दान

किसी वस्तु पर से अपना अधिकार समाप्त कर
दूसरे का अधिकार स्थापित करना दान है | जो
दान उपयुक्त समय में विना किसी स्वार्थ के
जरूरतमंद को दिया जाय वह सात्विक दान है |
अपने पर उपकार के वदले या किसी फल की
उम्मीद से दिया गया दान राजस दान है | और
बिना सत्कार या अपमानित करके दिया गया
दान तामस दान है |
        संकल्प पूर्वक दिया गया दान कायिक
अपने से भयभीत को निकट आने पर दिया
गया दान अभय दान और जप तथा ध्यान
प्रवृति के अर्पण को मानसिक दान कहते हैं |
   किसी के आग्रहपर उसे दिया जाने वाला
दान यदि वह जरूरतमंद है तो दान अन्यथा
लोभपूर्ति है |
  दान किसी भी रूप में दिया जाय वह देने
वाले के दुनियॉ का विस्तार करता है |

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