जैसे स्वप्न मे देखे जाने वाले पदार्थों
से उसे देखने वाले का कोई सम्वंध
नही होता वैसे शरीर से अतीत अनु
भव माया द्वारा नष्ट हो जाते हैं | जिस
समय समस्त इंद्रिया विषयों से हट
कर ईश्वर में स्थित हो जाती हैं उस
समय मनुष्य के रागद्वेषादि सारे
क्लेश नष्ट हो जाते हैं |
September 30, 2014
माया-जीव
Life cycle
Life cycle involves
Birth. Growth. Re-
Production and
Death .
and seeks answer to
what is the purpose
of of life ,we shall not
answering.
we observe patients
lying in coma in hospitals
virtually supported by
machines which replace
heart and lungs. the patient
otherwise brain dead . Are
such patients who never
come back to normallife living or
non-living ? Janardan Tripathi.
ईश्वर को
दर्शन .धार्मिक ग्रन्थ .धर्मस्थल ईत्यादि
ईश्वरीय सत्ता को बताने का प्रयास है |
तिव्रसाधना और लगन से मूर्ति में चैतन्य
सत्ता का अनुभव किया जा सकता है |
ईश्वर को देखा जा सकता है.उनसे बातें
किया जा सकता है | परन्तु कौन इसकी
परवाह करता है |
अपनेआप को किसी उच्चतर की सेवा
में लगायें. और जब थोड़ा अवकाश मिले
तो लोगों को इकट्ठाकर अध्ययन
संगीत. वार्तालाप और अवतारों के चरित्र
की दैवी विशेषताओं पर विचार विमर्श
करें |
हम चाहे जिस कर्म में लगे हों यह समझें
कि ईश्वर ने ही अपनेआप को विभिन्न
जीवो के रूप में अभिव्यक्त किया है |
जीव-सेवा . ईश्वर-सेवा है | सबमें देवत्व
की अनुभूति अहंकार को ठहरने नही
देती | इसका अनुभव कर लेने पर हम
किसी से न तो ईर्ष्या करते है और न
ही हमारे अन्दर किसी पर दया करने
की जरूरत पड़ती | जीव को शिव का
रूप जानकर उसकी सेवा करने से चित्त
शुद्ध होता है | और अविलम्व ऐसा
साधक यह अनुभव करता है कि वह
भी ईश्वर का अविभक्त अंश है |
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