मोटरकार फ्रीज एयरकण्डीशनर ईत्यादि खरीद
रहे हैं क्या डीजल पेट्रोल विजली गैस आपकी
है | इन वस्तुओं का जितना अधिक उपयोग करेंगे
उतना ही मानसिक अशान्त रहेंगे | मृत्यु काल
तक इसी में उलझे रहेंगे अपने आप को भूल
जाएंगे |
सुख पूर्वक जीने के कुछ आसान उपाय-
१-नजदीक की दूरी पैदल तय करें | घर की बनी
वस्तुओं को खाएं | कोल्ड ड्रिक एवं चाय की
जगह पानी पिएं पानी का बोतल साथ रखें |
फोन पर अनावश्क समय इधर उधर की बातों
में बिताने पर समय व पैसे की वर्वादी होती है |
सामान की उपयोगिता हो तभी खरीदें | आय
प्रतिदिन हो ऐसी व्यवस्था वनायें | आय का
दस प्रतिशत भाग बचाकर लोककल्याण में
खर्च करें | खाना पकाने में प्रेशर कूकर एवम्
सस्ते व आसानी से उपलब्ध ईंधन का प्रयोग
करें | बजट के अनुसार प्लानिंग करें | सीजनल
सब्जियॉ पोषक एवं सस्ती होती हैं |
वस्तुओं को खाएं | कोल्ड ड्रिक एवं चाय की
जगह पानी पिएं पानी का बोतल साथ रखें |
फोन पर अनावश्क समय इधर उधर की बातों
में बिताने पर समय व पैसे की वर्वादी होती है |
सामान की उपयोगिता हो तभी खरीदें | आय
प्रतिदिन हो ऐसी व्यवस्था वनायें | आय का
दस प्रतिशत भाग बचाकर लोककल्याण में
खर्च करें | खाना पकाने में प्रेशर कूकर एवम्
सस्ते व आसानी से उपलब्ध ईंधन का प्रयोग
करें | बजट के अनुसार प्लानिंग करें | सीजनल
सब्जियॉ पोषक एवं सस्ती होती हैं |
२- लोगों से ऐसा व्यवहार करें कि लोग आपको
मित्र समझें | अच्छे लगने वाले शब्दों का प्रयोग
करें | चापलूसी करने से अच्छा चुप रहना है |
अपने सुख दुख का बयान न करें | लड़ाई से
बचें | किसी भी तरह के दिखावे से वचें | मेजबान
की कोई कमी न निकालें | मेजबान की मदद
करें | किसी की बात गम्भीरता से सुनें | वड़े व
धार्मिक लोगों का आदर करें |छोटों को स्नेह दें
और उन्हें घ्यान से सुनें | अपनी बात सलाह के
रूप में रखें |
मित्र समझें | अच्छे लगने वाले शब्दों का प्रयोग
करें | चापलूसी करने से अच्छा चुप रहना है |
अपने सुख दुख का बयान न करें | लड़ाई से
बचें | किसी भी तरह के दिखावे से वचें | मेजबान
की कोई कमी न निकालें | मेजबान की मदद
करें | किसी की बात गम्भीरता से सुनें | वड़े व
धार्मिक लोगों का आदर करें |छोटों को स्नेह दें
और उन्हें घ्यान से सुनें | अपनी बात सलाह के
रूप में रखें |
३-किसी धर्मस्थल पर पॉच प्रकार के भक्त
नौ प्रकार से ईश्वर भक्ति करते हैं |
भक्ति- श्रवण . कीर्तन
स्मरण. पादसेवन.
अर्चन. वन्दन. दास्य. सख्य.और आत्मनिवेदन|
अर्चन. वन्दन. दास्य. सख्य.और आत्मनिवेदन|
भक्त- आर्त .
जिज्ञाषु.
अर्थार्थी.
प्रेमी.
ज्ञानी|
४- धर्म का स्वरूप-
स्लाम- समर्पण.
ईसाई- प्यार* सद्भावना
बौध- सत्य* अहिंसा.
बौध- सत्य* अहिंसा.
हिन्दु या ब्राह्मण- दया
मित्रता* क्षमा* परोपकार* उदारता* कृतज्ञता
सत्य* अहिंसा* प्यार* सद्भावना* समर्पण |
मित्रता* क्षमा* परोपकार* उदारता* कृतज्ञता
सत्य* अहिंसा* प्यार* सद्भावना* समर्पण |
५- ज्ञानेन्द्रियां व कर्मेन्द्रियॉ-
कान-शब्द.
त्वचा- स्पर्श.
नेत्र-रूप.
जीभ-रस
नाक-गन्ध.|
नाक-गन्ध.|
गुदा-उत्सर्ग.
हाथ - आदान प्रदान
पैर-गमन.
पैर-गमन.
वाणी- अलाप.
मुत्रेन्द्रिय- मुत्रउत्सर्ग
वआनंन्दन |
वआनंन्दन |
६- हर जीव को पृथ्वी विभिन्न प्रकार की दिखाई
देती है |
देती है |
प्रकृति का यह विश्वरूप परिमाण अत्यन्त अद्भुत
है कोई भी इसकी यथार्थ गणना नहीं कर सकता
है कोई भी इसकी यथार्थ गणना नहीं कर सकता
हमारी आंख ५५५०एंगस्ट्राम हरा पीला प्रकाश
के लिए सबसे अधिक तथा ४५०० सेनीचे और
६५०० से ऊपर वहुत कम सुग्राही है |
के लिए सबसे अधिक तथा ४५०० सेनीचे और
६५०० से ऊपर वहुत कम सुग्राही है |
७-समाज एक ऐसी आदर्श संस्था है जहॉ जीवन
की हर समस्या हल हो सकती है |
की हर समस्या हल हो सकती है |
८-सतयुग मे पृथ्वी सत्य से . द्वापर व त्रेता
में अवतार से तथा कलयुग मे मनुष्य पृथ्वी
को चलाते हैं | सतयुग में मनुष्य की आयु
१००००० वर्ष. द्वापर में १०००० वर्ष. त्रेता
में १००० वर्ष एवम कलयुग में १०० वर्ष
अधिकतम होती है |
में अवतार से तथा कलयुग मे मनुष्य पृथ्वी
को चलाते हैं | सतयुग में मनुष्य की आयु
१००००० वर्ष. द्वापर में १०००० वर्ष. त्रेता
में १००० वर्ष एवम कलयुग में १०० वर्ष
अधिकतम होती है |
९-समय चक्र-
सुबह. शाम. दिन.रात.
जाड़ा.गर्मी.वरसात
कलयुग.सतयुग.द्वापर. त्रेता
१०-सुनों हे भाई अन्त की बारी
हाथ झारी के जैसेचलोगे मदारी |
हाथ झारी के जैसेचलोगे मदारी |
भाई वन्धू कुटुम्ब कबीला सब मतलब के यार|
११-जैसे प्राणी के साथ रहेंगे वैसा ही वनेंगे |
आसक्ति क्षणभंगुर एवं विरक्ति स्वाभाविक है |
१२-विषयों के चिन्तन से आसक्ति पैदा
होती है जो पतन का कारण है |
होती है जो पतन का कारण है |
१३- विराट परमात्मा को जानकर ही मनुष्य इस
संसार में कार्यकुशलऔर संसार से मुक्त होता
हैं |
१४ वेद-
रिग्वेद में १०५२१ स्तुतिमंत्रों. यजुर्वेद में १९७५
यज्ञकर्ममंत्रों. सामवेद में १८७३ गेयमंत्रों. और
अथर्ववेद में ५९७७ जादूटोने मारणमोहन विविध
मंत्रों का संग्रह है |
यज्ञकर्ममंत्रों. सामवेद में १८७३ गेयमंत्रों. और
अथर्ववेद में ५९७७ जादूटोने मारणमोहन विविध
मंत्रों का संग्रह है |
१५- झुककर प्रणाम करना अहंकार का परित्याग
करना है |
करना है |
आध्यात्मिक अनुभूति से ब्यक्ति के अंदर
बदलाव आता है |
१६- १८महापुराण-
ब्रह्मपुराण १००००श्लोक
पद्मपुराण५५०००
विष्णुपुराण२३०००
विष्णुपुराण२३०००
.शिवपुराण२४०००.
भागवत
पुराण१८०००.
पुराण१८०००.
नारदपुराण२५०००.
मार्कण्डेय
पुराण९०००.
पुराण९०००.
अग्निपुराण१५४००.
भविष्यपुराण
१४५००.
१४५००.
व्रह्मवैर्तपुराण१८०००.
लिंगपुराण
११०००.
११०००.
वराहपुराण२४०००.
स्कंदपुराण
८११००
८११००
वामनपुराण१००००
कुर्मपुराण
१७०००
१७०००
मत्स्यपुराण१४०००
गरुणपुराण
१९०००
१९०००
व्रह्माणडपुराण१२००० श्लोक
इस प्रकार १८ पुराणों में कुल
४लाख श्लोकों का संग्रह हैं |
४लाख श्लोकों का संग्रह हैं |
९- गर्भाधान.गर्भवृद्धि.जन्म.वाल्यावस्था.
किशोरावस्था.जवानी.अधेड़वस्था.बुढ़ापा एवं
मृत्यु शरीर की ये ९ अवस्थायें हैं |
किशोरावस्था.जवानी.अधेड़वस्था.बुढ़ापा एवं
मृत्यु शरीर की ये ९ अवस्थायें हैं |