December 03, 2018

दर्पहारी

परमपिता परमेश्वर किसी के द्वारा शक्ति या प्रभुत्व का अपव्यवहार सहन नहीं करते। वे किसी का भी दर्प वर्दास्त नहीं करते। इसलिए व्यवहार जगत में हम देखते हैं कि,जो व्यक्ति क्षमता का अपव्यवहार करता है वह एक दिन ऐसा गिर जाता है कि उसकी अस्थि, चर्म सब कुछ पहचान के अयोग्य हो जाता है।
        सत्ता के बिना कोई अस्तित्व सिद्ध नहीं होता है। कार्य हो रहा है और एक सत्ता उसे देख रही है। वस्तु साक्षी सत्ता है। किन्तु द्रस्टा सिद्ध सत्ता है।
   

         जनार्दन त्रिपाठी।

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