January 05, 2011
ishwar ki khoj/discovery of god: ishwar ki khoj :/discovery of god
ishwar ki khoj/discovery of god: ishwar ki khoj :/discovery of god: "१. प्रकृति के विराट vaअद्भुत स्वरुप में जहाँ एक ओर जीवनोपयोगी तथा कल्याणकारी पदार्थ हैं ,वहीँ दूसरी ओर इसके भयावह स्वरूप भी दिखाई पड़त..."
लालच
मानसिक अदुर्दर्शिता की तृष्णा में मुग्ध होकर हम लोभ क़ो लक्छ्य मन लिए हँ,और निरंतर उसी की प्राप्ति के कठिन प्रयत्नो में उलझे है/ पशुपक्छी शारीरिक आवश्यकता पूर्ण हो जाने पर दौर धुप बंद कर देते हैं,परन्तु हम शारीर की आवश्यकता पूर्ण होने पर भी संग्रह के लोभ,प्रदर्शन के अहंकार,और सम्बन्धियों के मोह में फंसकर आवश्यक अनावश्यक ,उचित अनुचित का विचार किये बिना निरंतर लालच में फसें हैं/जब सारे सात्विक लोग आलसी एवं प्रमादी हो जाते हैं तो धन-दौलत पर राक्छ्सी प्रवृति के लोगों का कब्ज़ा हो जाता है/
January 02, 2011
ईश्वर की खोज
१-पृथ्वी के सभी पदार्थों में वायु रमण करता है ,असुद्ध और दुर्गन्ध आदि दोषों से भरा वायु सुखों का नाश करता है /वायु प्राण तत्त्व है/और यह प्राणतत्व ही इश्वर है/वायु के बिना पृथ्वी पर कुछ भी संभव नहीं है/ २.पृथ्वी, जल ,वायु,अग्नि और आकाश इन पञ्च तत्वों के संयोग से जीव का शारीर बनता है/इन पञ्च तत्वों को एक सूत्र में बांधने का कार्य कौन करता है? ३.जीव का शरीर हार्डवेयर है और यह दृश्य है/और शरीर में रमण करने वाली जीवनीशक्ति शाफ्त्वेयर है और यह अदृश्य है / ४हम आकार देखने के आदीहो चुके हैं इसलिए .जब हम इश्वर या जीवनीशक्ति को खोज रहे होते हैं तो उसे भी आकार के रूप में देखना चाहते हैं / ५.प्रकृति के विराट और अद्भुत स्वरूप में जहाँ एक ओर जीवनोपयोगी एवं कल्याणकारी पदार्थ हैं,वहीं दूसरी ओर इसके भयावह स्वरूप भी दिखाई देते हैं,मनमे प्रश्न उठता हैकि-यह अद्भुत प्रकृति यह विराट संचेतना कहाँ से आयी?इसका नियंता कौन है? इसी प्रश्न के उत्तर में हमारे मन नें एक सर्वशक्तिमान इश्वर के अस्तित्व को स्वीकार किया है/ ६. हमनें उस इश्वर को खोज्खोज्कर और निरंतर कठोर साधना से उसका परिचय पाने का प्रयत्न किया तब उस इश्वर के अनेकानेक रूप उभरकर सामने आये/ ७. जिस प्रकार इस भौतिक जगत क़ो देखनें के लिए नेत्रों की आवश्यकता होती है,उसी प्रकार दिब्य तत्वों क़ो जाननें एवं समझनें के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है/ ८. जन्म के समय जीव की अपनी कोई भाषा नही होती,और न ही कोई अपना ज्ञान/ जो कुछ भी ज्ञान उसके पास होता है वह दूसरों से सीखाहुआ / ९. सृष्टि के आरंभ में जीव क़ो शिक्छा देने वाला जब कोई नहीं था तब उसने प्रकृति के मद्ध्य ज्ञानार्जन किया/पशु पक्छियों में स्वाभाविक प्राकृतिक ज्ञान होता है, पक्छी अपना घोसला एवं मकरी अपना जाल स्वाभाविक प्राकृतिक ज्ञान से ही बना लेती है/ १०. सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड एक ही धुरी पर घूम रहा है,यह जर-चेतन संसार एक दुसरे के सहयोग से ही परिचालित है यदि किसी श्रृंखला की एक कड़ी भी टूट जाये तो सब कुछ बिखर जायेगा/ मनुष्य इतना पीड़ित है की उसे प्रतिपल सहानुभूति एवं सेवा की जरुरत है/
Subscribe to:
Posts (Atom)
Featured Post
ईश्वर की खोज
१-पृथ्वी के सभी पदार्थों में वायु रमण करता है ,असुद्ध और दुर्गन्ध आदि दोषों से भरा वायु सुखों का नाश करता है /वायु प्राण तत्त्व है/और यह प्...
addhyatma
-
१-पृथ्वी के सभी पदार्थों में वायु रमण करता है ,असुद्ध और दुर्गन्ध आदि दोषों से भरा वायु सुखों का नाश करता है /वायु प्राण तत्त्व है/और यह प्...
-
धर्म का सही अर्थ है विनम्र व्यवहार :- परमात्मा जिस पर प्रशन्न होता है उसे विनम्र और जिसपर नाराज होता है उसे क्रोधी बनाता है। ...
-
ब्रह्म जीव एवं माया तीन तत्वों से पृथ्वी चलती है | जीव एवं माया (परा एवं अपरा शक्ति) ब्रह्म की शक्ति हैं | हर जीव का शरीर उसका साधन है |...
-
संसार का इतिहास बस ऐसे थोड़े से लोगों का इतिहास है, जिन्हें अपने आप में विश्वास था। यदि हम ईश्वर में विश्वास करते हैं और अपने आप में नहीं तो...
-
स्वयं पर विश्वास करें | शरीर को स्वस्थ वनावें हीनता बोध न करें | संयमी एवं अनुसासित रहें अपना कार्य ईश्वर का आदेश समझ कर करें भय को दूर क...
-
ishwar ki khoj/discovery of god: ishwar ki khoj :/discovery of god : "१. प्रकृति के विराट vaअद्भुत स्वरुप में जहाँ एक ओर जीवनोपयोगी तथा...
-
चैतन्य आत्मा ;-मानव शरीर माता के गर्भ में स्वतंत्र रूप से विकसित नहीं होता ,उसके विकास का कारणशरीर के भीतर रहने वाला जीव है / जीव केबिना प्...
-
ब्रह्मसूत्र ;हिन्दुओं के ६ दर्शनों में एक है/इसके रचयिता बादरायण हैं/ ब्रह्मसूत्र में चार अध्ह्याय है /1.समन्वय 2.अविरोध ३ साधना एवं ४ फल...
-
in prosperity all are friends, no anyone is friend in bad times. life is like a shadow which repeats itself, all is false-this brittle life,...
-
जिस प्रकार डूबते हुवे क़ो पानी से बाहर आने की ब्याकुलता होती है,ठीक उसी प्रकार की ब्याकुलता इश्वर क़ो जानने की होने पर इश्वर क़ो जाना जा सकत...