January 22, 2011

ब्रह्मसूत्र

ब्रह्मसूत्र ;हिन्दुओं के ६ दर्शनों में एक है/इसके रचयिता बादरायण हैं/ ब्रह्मसूत्र में चार अध्ह्याय  है /1.समन्वय  2.अविरोध ३ साधना एवं  ४ फल /इसके प्रत्येक अध्याय में चार पद हैं/एवं कुल ५५५ सूत्र हैं/                                                       वेदांत के चार स्तंभों उपनिषद क़ो श्रुतिप्र्स्थान,भगवद्गीता कोस्म्रितिप्र्स्थान एवं ब्रह्मसूत्रों क़ो न्याय्प्रस्थान कहते हैं/
      जनार्दन त्रिपाठी

ईसा

इसा ;बारह वर्ष की उम्र होने के बाद इसा की अध्यात्मिक बृत्ति एवं छमता जब लोगों में उजागर हुई तो प्रशंसकों  से ज्यादा बिरोधियों की संख्या होने लगी/बिरोधिओं की संख्या इतनी बढ़ी की रोमन का गवर्नर पिलातुस इसा के बिरोधिओं क़ो प्रसन्न रखने हेतु इसा क़ो क्रूस पर मृत्युदंड की न्रिसन्स सजा सुनाया/                                                   सूली पर चडाने वाले क़ो अज्ञानी करार देकर इसा ने प्रभु से उसे छमा कर देने की विनती की/इसा की अनुभूति में मनुष्य इतना पीड़ित है की उसे पल प्रतिपल सहानुभूति एवं सेवा की जरूरत है/ इसा मनुष्य के दुःख से इतने उदास थे की उनका कोई ऐअसा चित्र नहीं बनाया जा सका जिसमे वे हस रहे हों/  
                                  जनार्दन त्रिपाठी

मानव धर्म

मानवधर्म ;  मानव समाज से धर्म क़ो निकाल दिया जाय तो पशुओं के दल के अतिरिक्त क्या बचेगा?आज विश्व में प्रचलित धर्मो हिन्दू,मुस्लिम सिक्ख ,ईसाई आदि ने इश्वर क़ो बाँट दिया है/समाज क़ो उपर उठाने के लिए धर्मो केविनाश की आवश्यकता नही है ,और समाज की जो दसा है ,उसके लिए धर्म जिम्मेदार नहीं हैं/बल्कि ऐअसा इसलिए हुआ है,की धर्म का जेसा ब्यवहार होना चाहिए था वैसा नही हुआ/जब तक लाखों लोग भूख और अज्ञान में डूबे रहकर मर रहे हैं,मैं ऐसे  प्रत्येक ब्यक्ति क़ो समाज  द्रोही मानता हूँ,जो शिक्छित तो हुआ पर उनकी ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया/जब तक एक भी ब्यक्ति भूखाऔर गरीब  हो हमारा सारा धर्म उसके लिए भोजन जुटाना और गरीबी मिटाना  होना चाहिए/पुरे विश्व की स्कूली शिक्छा एक भाषा में होनी चाहिए/विश्व के विभिन्न देशों के सम्विधानो के समानांतर एक मानवीय सम्विधान की रचना होनी चाहिए/यह समय की पुकार है/  
     जनार्दन त्रिपाठी

January 20, 2011

ishwar ki khoj :/discovery of god

हम वाणी से बोलते हैं,कानों से सुनते हैं,और आँखों से देखते हैं /परन्तु वाणी में बोलनें की शक्ति नहीं है,कानो में सुनने की शक्ति नही  हैऔर आँखों में देखने की शक्ति नही है /कौन बोलता है?कौन सुनता है?और कौन देखता है?इस प्रश्न के उत्तर में हमारे मन ने  इश्वर के अस्तित्व क़ो स्वीकार किया है /                                                                                                                                    

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