January 22, 2011

मानव धर्म

मानवधर्म ;  मानव समाज से धर्म क़ो निकाल दिया जाय तो पशुओं के दल के अतिरिक्त क्या बचेगा?आज विश्व में प्रचलित धर्मो हिन्दू,मुस्लिम सिक्ख ,ईसाई आदि ने इश्वर क़ो बाँट दिया है/समाज क़ो उपर उठाने के लिए धर्मो केविनाश की आवश्यकता नही है ,और समाज की जो दसा है ,उसके लिए धर्म जिम्मेदार नहीं हैं/बल्कि ऐअसा इसलिए हुआ है,की धर्म का जेसा ब्यवहार होना चाहिए था वैसा नही हुआ/जब तक लाखों लोग भूख और अज्ञान में डूबे रहकर मर रहे हैं,मैं ऐसे  प्रत्येक ब्यक्ति क़ो समाज  द्रोही मानता हूँ,जो शिक्छित तो हुआ पर उनकी ओर तनिक भी ध्यान नहीं दिया/जब तक एक भी ब्यक्ति भूखाऔर गरीब  हो हमारा सारा धर्म उसके लिए भोजन जुटाना और गरीबी मिटाना  होना चाहिए/पुरे विश्व की स्कूली शिक्छा एक भाषा में होनी चाहिए/विश्व के विभिन्न देशों के सम्विधानो के समानांतर एक मानवीय सम्विधान की रचना होनी चाहिए/यह समय की पुकार है/  
     जनार्दन त्रिपाठी

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