इसा ;बारह वर्ष की उम्र होने के बाद इसा की अध्यात्मिक बृत्ति एवं छमता जब लोगों में उजागर हुई तो प्रशंसकों से ज्यादा बिरोधियों की संख्या होने लगी/बिरोधिओं की संख्या इतनी बढ़ी की रोमन का गवर्नर पिलातुस इसा के बिरोधिओं क़ो प्रसन्न रखने हेतु इसा क़ो क्रूस पर मृत्युदंड की न्रिसन्स सजा सुनाया/ सूली पर चडाने वाले क़ो अज्ञानी करार देकर इसा ने प्रभु से उसे छमा कर देने की विनती की/इसा की अनुभूति में मनुष्य इतना पीड़ित है की उसे पल प्रतिपल सहानुभूति एवं सेवा की जरूरत है/ इसा मनुष्य के दुःख से इतने उदास थे की उनका कोई ऐअसा चित्र नहीं बनाया जा सका जिसमे वे हस रहे हों/
जनार्दन त्रिपाठी