मंगलवार, नवंबर 01, 2022

संसार

यह संसार एक मृत्युमय पथ है।हमलोग मन, शरीर,और बुद्धि से होने वाली सृष्टि के द्वारा बने हुए अज्ञानी जीव हैं। हम जाग्रत और स्वप्न अवस्थाओं में केवल गुणमय पदार्थोऔर विषयोंको एवं सुषुप्त अवस्था में केवल अज्ञान ही अज्ञान देखते हैं। हम वहिर्मुख होने के कारण बाहर की वस्तु तो देखते हैं, पर अन्दर अपने-आपको नहीं देख पाते।

शनिवार, अक्टूबर 29, 2022

सम्पत्ति

सम्पत्ति और ऐश्वर्य स्वप्न तुल्य हैं। सबसे प्रेमभाव वाली सम्पत्ति के प्राप्त हो जाने पर यह सारा विश्व और इसकी समस्त सम्पत्तियां मिट्टी के ढेर समान जान पड़ती है। मन को प्रेम भाव में, हाथ-पैर को अच्छा करने में, कानों को अच्छा सुनने मे,नेत्रों को अच्छा देखने में,मुख को अच्छा बोलने और नासिका को अच्छा गन्ध ग्रहण करने में लगाना चाहिए।इस प्रकार आत्मानंद मे रहने वाले के सामने सब तुच्छ है। घर, स्त्री, भाई-वन्धु, पुत्र,रत्न,आयुध इत्यादि वस्तु सब के सब असत्य हैं।  ऐसे पुरुष की रक्षा लिए परमात्मा का  सुदर्शन चक्र तैयार रहता है।जनार्दन त्रिपाठी मो•नं• 9005030949।

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ईश्वर की खोज

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