यदि हम रोज जिन्दगी को अपने आखिरी
दिन की तरह जिएं तो हम खुद को सावित
कर दिखा सकते हैं | मृत्यु को याद रखना
मुझे अपनी जिन्दगी के अहम फैसले लेने
में मददगार होता है | क्योकि तब सारी
अपेक्षाएं. सारा घमंड. असफलता का डर
सब कुछ गायब हो जाता है | बचता वही है
जो वाकई जरूरी है | जिन्दगी का समय
कम होता जा रहा है .इसलिए इसे ब्यर्थ
न कीजिए |अपने अन्दर की आवाज कहीं
डूव न जाय.आप सच में क्या बनना चाहते
हैं यह महत्वपूर्ण है. बाकी सब वेकार |
January 07, 2015
मृत्यु
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