मन की अपार सामर्थ्य को एक निश्चित मार्ग
में लगा देने से शक्ति के द्वार खुल जाते हैं |
यही सिद्धि है | ध्यान पूर्वक विचार करने से
ही हम किसी वस्तु के मूल स्वरूप और उसकी
वास्तविकता को जान सकते हैं | ध्यानयोग
का साधक सिद्धि के मार्ग की ओर पग बढ़ाता
है . उसे हरक्षेत्र मे सफलता ही दिखाई देती है |
इस विधि से व्यक्ति शक्ति का विकास
करता है | आर्थिकरूप से प्रगति करता है | और
अपनी भौतिक इक्छाओं को मूर्त रूप देता है |
ध्यान के विना ध्येय की सिद्धि संभव नही है |
जनार्दन त्रिपाठी
0 9005030949
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