तृप्ति, सन्तुष्टि और आनन्द स्वयं से प्राप्त होते
हैं और भौतिक सुख समाज से प्राप्त होते हैं
एक भौतिक सुख हेतु तीन सुखों की तिलांजली
ठीक नहीं है | तीनों सुखों के प्राप्त होते ही
भौतिक सुख अनायास प्राप्त हो जाता है |
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addhyatma
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