January 11, 2018

बाहरी संसार की खुशी

हम एक के बाद एक इच्छा पूर्ति मे‌‍ लगे रहते हैं। बाद में ज्ञात होता है कि बाहरी संसार की खुशी मात्र भ्रम है। जैसे ही एक इच्छा पूरी होती है दूसरी इच्छा उसकी जगह ले लेती है। हमारा जीवन ऐसै ही चलता रहता है। हमारी इंसानी व्यवस्था इस प्रकार रची गयी है कि हम इच्छापूर्ति की ओर ही ध्यान लगाए रहते हैं। लेकिन जीवन के किसी न किसी मोड़ पर हमें एहसास होता है कि बाहरी संसार की खुशी एक क्षणिक भ्रम है। अंत में हमें महसूस होता है कि किसी भी चीज ने हमें वो स्थाई खुशी और संतुष्टि नहीं दी जो हम चाहते थे।
   Janardan Tripathi. 

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