सामान्य मनुष्य एक ऐसी ब्यक्त सत्ता चाहता है, जो उसका सुख दुख समझे।और हर एक विकट परिस्थिति में वेदना सुनें।और उसके जैसा हो।सामान्य मनुष्य अव्यक्त सत्ता के प्रति आकर्षित नहीं होता। भारत में दार्शनिक बुद्धि वाले लोग अब्यक्त सत्ता मानते हैं। ज्ञानी अनुमान लगा लेते हैं कि अब्यक्त सत्ता है। और अब्यक्त सत्ता होनें के कारण उनके केन्द्र को पाना बहुत कठिन है।
मनुष्य पृथ्वी पर अधिकतम 125 वर्षों के लिए आता है, इस अल्प समय में वह अव्यक्त सत्ता को नहीं समझ सकता।अतः मृत्यु अतिसंनिकट समझ कर कार्य करना उचित है। पशु पक्षी, पेड़ पौधे एवं अन्य जीव जंतु अपने सहज वृत्ति से प्रेरित होकर कर्म करते हैं।
जनार्दन त्रिपाठी
मनुष्य पृथ्वी पर अधिकतम 125 वर्षों के लिए आता है, इस अल्प समय में वह अव्यक्त सत्ता को नहीं समझ सकता।अतः मृत्यु अतिसंनिकट समझ कर कार्य करना उचित है। पशु पक्षी, पेड़ पौधे एवं अन्य जीव जंतु अपने सहज वृत्ति से प्रेरित होकर कर्म करते हैं।
जनार्दन त्रिपाठी
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