September 12, 2020

अपराध बोध

मनुष्य  भौतिकता के वशीभूत होकर स्वार्थवश अनैतिक कार्य करता है । हिंसा के दो प्रकार हैं ।शारीरिक एवं भावनात्मक । भावनात्मक हिंसा में मनुष्य दूसरों को धोखा देता है एवं उनके साथ अवांछित आचरण करता है ।चूंकि उसको यह मालूम रहता है कि यह गलत है अतः इससे होने वाले अपराध बोध के कारण वह मानसिक बिमारियों की चपेट में आ जाता है ।भावनात्मक हिंसा करने वाला आरंभ में इस अपराध बोध को स्वीकार नहीं करता ।परंतु धीरे धीरे उसकी अंतरआत्मा उसे यह  स्वीकार करने पर मजबूर कर देती है । कुछ  अच्छे संस्कार के लोग अपने कृत्य के पश्चाताप के रूप में पीड़ित से या तो क्षमा याचना कर लेते हैं या उनके नुकसान की भरपाई करके मुक्ति पा लेते हैं । अतः  इससे  सावधान रहना चाहिए ।
                 Janardan Tripathi. 

Featured Post

ईश्वर की खोज

१-पृथ्वी के सभी पदार्थों में वायु रमण करता है ,असुद्ध और दुर्गन्ध आदि दोषों से भरा वायु सुखों का नाश करता है /वायु प्राण तत्त्व है/और यह प्...

addhyatma