शरीर का तभी तक महत्व है जब तक उसमे
जीव वसता हो | शरीर में बैठे जीव के दर्शन
के आकांक्षी को ;शरीर को मंदिर की तरह
पवित्र रखने का अभ्यास करना चाहिये|
जिसकी आंखें शरीर में रहते हुवे जीव को
देख सकती है' वही देव को देख सकता है
वही परोपकार कर सकता है तथा दूसरों को
सुख सन्तोष देते हुवे स्वयं सुख की अनुभूति
कर सकता है|
जनार्दन त्रिपाठी मो 9005030949
May 04, 2014
शरीर/humen body/
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