July 30, 2021

सभ्यता

पहले वह व्यक्ति सभ्य कहा जाता था, जिसका व्यवहार पवित्र, और जो धैर्यवान , गंभीर, हसमुख और विनयशील होता था। गरीबी और अमीरी के बीच उस समय कोई दीवार नहीं थी। ज्ञान का सम्मान उस समय राजा भी करता था और किसान भी करता था। दार्शनिक विचार अलग अलग होते हुए भी सभ्यता की कसौटी एक थी ।
इस समय, आधुनिक सभ्यता ने धनवान एवं निर्धन की दीवार खड़ी की है, भौतिकता एवं स्वार्थपरता उसकी आत्मा है।आधुनिकता से वंचित भाई जब आपको ठाट से देखता है, तो यह समझता है कि यह हमारा नहीं है। फिर आप कितनी ही बुलंद आवाज में परिवारवाद की हांक लगाएं वह आपकी ओर ध्यान नहीं देता। वह आपको पराया समझ लेता है। 
                     जनार्दन त्रिपाठी देवरिया उत्तर प्रदेश। 

April 02, 2021

भगवत कृपा

व्यक्ति का प्रभाव, पर्वत, वृक्ष इत्यादि जो भी स्थिर है, इन सब का वजूद तभी तक है, जब तक इन पर भगवत कृपा है। भगवान की शक्ति जाते ही सब गिर जाते हैं। 
                                           जनार्दन त्रिपाठी देवरिया। 

March 25, 2021

यथामाम् प्रपद्यन्ते

 ये यथामाम् प्रपद्यन्ते, तेस्तथैव भजाम्यहम् ।

मैं आलसी को रोग, चिन्तन करने वाले को ज्ञान, ईर्ष्या की दृष्टि से देखने वाले को शत्रु और पुरुषार्थी को पदार्थ के रूप में प्राप्त होता हूँ। 

January 10, 2021

कुचक्र में मानव

आध्यात्मिक क्रियाकलापों द्वारा जीव, जीवात्मा  के साथ रह सकता है। लेकिन वह ऐसे भ्रम जाल फंसा रहता है जहां से निकलने की कोई गुंजाइश नहीं होती। वह प्रतिपल तन के सुख में डूबा रहना चाहता है। जीवात्मा के साथ रहने मे उसे तनिक भी अच्छा नहीं लगता। वह वैभव के ही उपायों में डूबता उतराता रहता है। 
                                  Janardan Tripathi 
                                      9005030949 

January 08, 2021

जीवन सूत्र

प्रत्येक मनुष्य अपने जीवन काल में सुख, समृद्धि, शान्ति और सदाचार प्राप्त कर जीवन की समाप्ति पर मोक्ष प्राप्त  करना चाहता है। लेकिन इच्छा, स्वार्थ और मतिभ्रम की स्थिति में वह इन ध्येयों से दूर हो जाता है। धर्म संकट की स्थिति में-addhyatmajnardantripathi.blogspot.com 
को पढना चाहिए। 

Featured Post

ईश्वर की खोज

१-पृथ्वी के सभी पदार्थों में वायु रमण करता है ,असुद्ध और दुर्गन्ध आदि दोषों से भरा वायु सुखों का नाश करता है /वायु प्राण तत्त्व है/और यह प्...

addhyatma