माया का संसार सकल जग कॉच है, जीवन है दो घड़ी और मरना सॉच है।
January 10, 2021
कुचक्र में मानव
आध्यात्मिक क्रियाकलापों द्वारा जीव, जीवात्मा के साथ रह सकता है। लेकिन वह ऐसे भ्रम जाल फंसा रहता है जहां से निकलने की कोई गुंजाइश नहीं होती। वह प्रतिपल तन के सुख में डूबा रहना चाहता है। जीवात्मा के साथ रहने मे उसे तनिक भी अच्छा नहीं लगता। वह वैभव के ही उपायों में डूबता उतराता रहता है।
No comments:
Post a Comment