शुक्रवार, अगस्त 29, 2025

संसार से जीवन-मुक्ति

संसार के कुचक्र से ग्रस्त होना कष्टों का मूल कारण है। शरीर की पांचों ज्ञानेन्द्रियां शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों- कर्मेंद्रियों को नियंत्रित करती हैं. इनपर मन का शासन होता है। मन विषयों का मिथ्या संसार बनाता है,मन पर नियंत्रण करके जो व्यक्ति स्वयं को नित्य शुद्ध, नित्य मुक्त , सत् चित् आनन्द, स्वरूप ब्रह्म के रूप में जान लेता है वह अज्ञान से मुक्त हो कर जीवन मुक्त हो जाता है।    जनार्दन।

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